Not known Details About Shodashi

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Group feasts Engage in a big role in these events, where by devotees arrive alongside one another to share foods That always incorporate traditional dishes. These types of foods rejoice both the spiritual and cultural areas of the Pageant, enhancing communal harmony.

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

Goddess is commonly depicted as sitting around the petals of lotus that may be kept around the horizontal physique of Lord Shiva.

The essence of those rituals lies in the purity of intention and also the depth of devotion. It's not merely the external actions but The interior surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.

Her type is alleged to be the most wonderful in all of the 3 worlds, a magnificence that's not simply Actual physical but additionally embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is often depicted for a resplendent sixteen-12 months-aged Woman, symbolizing eternal youth and vigor.

यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।

ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य

Shodashi Goddess is one of the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of knowledge. Her title implies that she will be the goddess who is usually sixteen yrs previous. Origin of Goddess Shodashi occurs following Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

As the camphor is burnt into the hearth quickly, the sins created by the person turn into no cost from those. There isn't any any as such need to locate an auspicious time to start the accomplishment. But next durations are claimed to generally be Exclusive for this.

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो get more info जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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